क्या मणिपुर में लागू होगा राष्ट्रपति शासन? इन 7 पॉइंट में समझें पूर्वोत्तर राज्य में 21 महीने से क्या चल रहा?

मई 2023 से हिंसा की चपेट में आए मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। वे 21 महीने तक मणिपुर को संकट से बाहर नहीं निकाल पाए, इसलिए उनके इस्तीफे की मांग हो रही थी।
उन्होंने दूसरे दिन गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत के बाद पद से इस्तीफा दे दिया। बीरेन सिंह ने इंफाल जाकर राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया, अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगेगा? क्या भाजपा मणिपुर में नया मुख्यमंत्री नियुक्त करेगी या फिर वह मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने देगी? आइये जानते हैं मणिपुर में क्या चल रहा है और अब तक क्या हुआ है?
- राज्यपाल अजय भल्ला ने बीरेन सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। उनसे नये मुख्यमंत्री के निर्वाचित होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने का अनुरोध किया गया है, लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री रहते हुए कोई भी नीतिगत निर्णय लेने से बचने की सलाह दी गई है। जैसे ही बीरेन सिंह का इस्तीफा स्वीकार किया गया, विधानसभा सचिव के मेघजीत सिंह ने एक नोटिस जारी कर तुरंत 10 फरवरी से शुरू होने वाले 12वें विधानसभा सत्र को अवैध घोषित कर दिया।
- भाजपा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाना चाहती है, इसलिए भाजपा नया मुख्यमंत्री नियुक्त करने का फैसला कर सकती है। विवाद को सुलझाने के लिए संबित पात्रा मणिपुर में डेरा डाले हुए हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार, भाजपा आलाकमान एक-दो दिन में नए मुख्यमंत्री पर फैसला ले लेगा।
- बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद कुकी समुदाय के संगठन आईटीएलएफ का बयान सामने आया। इसमें कहा गया कि बीरेन मुख्यमंत्री रहें या नहीं, हमें अलग प्रशासन चाहिए। अविश्वास प्रस्ताव में हार के डर से बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मैतेई समुदाय ने हमें समाज से अलग-थलग कर दिया है। पिछले 21 महीनों में समुदाय के कई लोग मारे गए। अब हम अपनी मांग से पीछे नहीं हट सकते। इतने सारे लोगों का बलिदान व्यर्थ चला जायेगा।
- बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राहुल गांधी ने कहा कि पिछले 21 महीनों में मणिपुर में क्या हुआ? पूरे देश ने इसे देखा। अब विपक्षी पार्टी कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाली थी, सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति का संज्ञान ले लिया था, जनता का दबाव भी बढ़ रहा था, इसलिए बीरेन सिंह ने इस्तीफा देकर अपनी जान बचाई। सबसे महत्वपूर्ण बात मणिपुर में शांति बहाल करना और हिंसा का सामना कर रहे लोगों के घावों पर मरहम लगाना है। प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर जाकर लोगों का दर्द बांटना चाहिए।
- मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय आपस में भिड़ रहे हैं। दोनों समुदाय एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक कृत्य कर रहे हैं। मणिपुर 600 दिनों से अधिक समय से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। मई 2023 से अक्टूबर 2023 तक गोलीबारी की 408 घटनाएं होंगी। नवंबर 2023 से अप्रैल 2024 तक 345 घटनाएं घटित हो चुकी हैं। मई 2024 से जनवरी 2025 तक 112 घटनाएं घटित हुई हैं।
- मई 2023 से अब तक जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। हजारों लोग बेघर हो गये हैं। महिलाओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया। वहां सार्वजनिक नरसंहार हुआ। जनवरी 2025 में कुछ शांति होगी। कोई हिंसक घटना नहीं घटी। यहां तक कि कोई छिटपुट प्रदर्शन भी नहीं हुआ। कार्यालय और स्कूल खुलने लगे हैं।
- बीरेन सिंह का एक ऑडियो लीक हुआ था, जिसमें उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया जा रहा था। बिरेन सिंह को यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने मैतई समुदाय को हिंसा भड़काने की अनुमति दी थी। कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (कोहूर) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस ऑडियो की जांच की मांग की है। 3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि ऑडियो विवाद को मुद्दा नहीं बनना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब (सीएफएसएल) से 6 सप्ताह के भीतर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी है।