सूर्य स्नान, भोजन, फोकस और टाइम टेबल: PM मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ में सुलझाई बच्चों की समस्या, आत्मविश्वास भी बढ़ाया

प्रधानमंत्री मोदी ने माता-पिता और परिवार को भी सीख दी कि वो बच्चों को दीवारों में बंद करके किताबों का जेलखाना बना दें तो बच्चे कभी ग्रो नहीं कर पाएँगे। उसे खुला आसमान चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूली छात्रों की परीक्षाएँ शुरू होने से पहले एक बार फिर ‘परीक्षा पे चर्चा’ के जरिए कुछ बच्चों से मुलाकात की और उनकी समस्याएँ सुनकर उन्हें उसके समाधान बताए।
इस दौरान उन्होंने बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए उन्हें तनाव मुक्त करने का भी काम किया।
पीएम मोदी ने अलग-अलग राज्यों से आए बच्चों को सूर्य स्नान का महत्व समझाया और गेहूँ, बाजरा, चावल, मोटा अनाज सब कुछ खाने की सलाह दी। पीएम ने क्रिकेटर्स का उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे चारों ओर से शोर होते हुए भी क्रिकेटर का फोकस गेंद पर होता है वैसे ही बच्चों को भी अपना ध्यान सिर्फ लक्ष्य पर रखना चाहिए। बाहरी प्रेशर और लोगों की बातों का भार अपने दिमाग में न डालें।
लीडरशिप क्वालिटी पर सवाल किए जाने पर पीएम मोदी ने कहा “जब लोगों में आपके लिए विश्वास जागता है, तब लोग आपकी लीडरशिप को मान्यता देते हैं। आपमें विश्वास कर लीडर बनने के लिए धैर्य भी बेहद जरूरी है।” आगे प्रधानमंत्री मोदी ने माता-पिता और परिवार को भी सीख दी कि वो बच्चों को दीवारों में बंद करके किताबों का जेलखाना बना दें तो बच्चे कभी ग्रो नहीं कर पाएँगे। उसे खुला आसमान चाहिए। वहीं टीचर से कहा कि वो बच्चों की उस ताकत को पहचानें जिसमें वो सबसे अच्छा है।
उन्होंने बच्चों को लिखने वाली आदत डालने को कहा। वहीं ये भी कहा कि 24 घंटे ही सबके पास होते हैं, इसलिए अपने लक्ष्य पर फोकस करके मेहनत करें, जो काम करने हैं उनकी लिस्ट बनाएँ, उन्हें चेक करें ये हुए या नही। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि डिप्रेशन और एंग्जायटी से दूर रहने का सरल तरीका यही है कि अगर मन में दुविधा हो तो उसे कह डालें वरना एक समय पर विस्फोट हो जाएगा।
पीएम मोदी ने छात्रों को सकारात्मक सोच अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि लक्ष्य ऐसे बनाएँ जो पहुँच में हों लेकिन तुरंत हासिल न हों। इससे छात्रों को प्रेरणा मिलेगी और वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास कर सकेंगे। परीक्षा के दौरान तनाव और डर से निपटने के लिए पीएम मोदी ने सलाह दी कि कठिन विषयों को पहले पढ़ें। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा और परीक्षा का अनुभव सुखद बनेगा। उन्होंने कहा कि असफलताओं से सीखना जरूरी है और इसे एक शिक्षक की तरह देखना चाहिए।