x
Close

Recent Posts

नई दिल्ली, 28 अप्रैल . जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट समर्थित उम्मीदवारों ने अध्यक्ष समेत चार में से तीन पदों पर जीत हासिल की है. वहीं संयुक्त सचिव पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार वैभव मीणा ने जीत दर्ज की है.

नई दिल्ली, 28 अप्रैल . जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट समर्थित उम्मीदवारों ने अध्यक्ष समेत चार में से तीन पदों पर जीत हासिल की है. वहीं संयुक्त सचिव पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार वैभव मीणा ने जीत दर्ज की है.

Politics

अडानी समूह के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, कहा-‘अडानी बचाओ, देश बेचो’

  • PublishedFebruary 13, 2025

नई दिल्ली, भारत-पाक सीमा पर संवेदनशील क्षेत्र को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने और अडानी समूह के ऊर्जा पार्क स्थापित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा नियमों में ढील दिए जाने की रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौते को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नाराज़गी जाहिर की है.

अडानी समूह के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील पर विपक्ष का हमला, सरकार पर गंभीर आरोप

हाल ही में, विपक्षी दलों ने अडानी समूह को लेकर एक नई आक्रामक रणनीति अपनाई है। उनका आरोप है कि भारतीय सरकार अडानी समूह के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील दे रही है, जिससे न केवल इस समूह को फायदा हो रहा है, बल्कि देश की सुरक्षा और आर्थिक स्थिति पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विपक्ष ने सरकार पर यह आरोप लगाया कि वह अडानी समूह को बचाने के लिए देश की संपत्ति और संसाधनों को बेचने की नीति पर चल रही है।

अडानी समूह और सुरक्षा प्रोटोकॉल

अडानी समूह, जो एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी है, विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है, जैसे कि ऊर्जा, बंदरगाह, विमानन, और खनन। यह समूह भारतीय उद्योग जगत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, लेकिन इस समूह के खिलाफ पिछले कुछ समय में कई विवाद उठे हैं। इन विवादों में मुख्य रूप से वित्तीय अनियमितताएं, विदेशी निवेश, और भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं। इन आरोपों के बीच अडानी समूह की सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील को लेकर विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम उनकी वित्तीय ताकत को बढ़ाने के लिए लिया गया है।

विपक्षी दलों का आरोप

विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अडानी समूह की मदद करने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील दे रही है। उनका कहना है कि सुरक्षा की यह ढील अडानी समूह को बिना किसी खतरे के बड़े पैमाने पर व्यापार करने की सुविधा देती है, जबकि यह देश की सुरक्षा और हितों के खिलाफ है। विपक्षी दलों ने इसे ‘अडानी बचाओ, देश बेचो’ के रूप में खारिज किया है और सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अडानी के स्वार्थपूर्ण हितों के लिए देश के संसाधनों और संपत्ति को जोखिम में डाल रही है।

सरकार का बचाव

इस आरोप पर सरकार की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है, लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील अडानी समूह के व्यवसायिक हितों को प्रभावित नहीं कर सकती। उनका कहना है कि अडानी समूह भारतीय व्यापार जगत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इस प्रकार के कदमों से विदेशी निवेश को आकर्षित किया जा सकता है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह एक जटिल मुद्दा है और केवल सरकारी बयान से स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकती।

सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील के प्रभाव

सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील के संभावित प्रभावों पर चर्चा करते हुए, विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारतीय उद्योग और विदेशी निवेशकों के लिए नकारात्मक संदेश भेज सकता है। सुरक्षा प्रोटोकॉल को ढीला करने से विभिन्न क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं, खासकर ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति और व्यापारिक रिश्ते बेहद संवेदनशील हैं।

इसके अलावा, अडानी समूह जैसे बड़े कॉर्पोरेट समूहों के लिए विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है, क्योंकि उनके पास कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं और ढांचे होते हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के होते हैं। यदि सुरक्षा मानकों में कोई ढील दी जाती है, तो यह उन परियोजनाओं को जोखिम में डाल सकता है, जिनका सीधा संबंध देश की आर्थ‍िक सुरक्षा और विकास से है।

विपक्ष का आक्रोश और आलोचना

विपक्षी दलों ने यह भी कहा कि सरकार की नीतियों में पारदर्शिता की कमी है। उनका कहना है कि अडानी समूह को विशेष रूप से लाभ पहुंचाने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है, जबकि देश के अन्य क्षेत्रों में विकास के लिए पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि अडानी समूह के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील देना देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।

पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह कदम देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है, क्योंकि कई ऐसे क्षेत्रों में अडानी समूह का नियंत्रण है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं। विपक्ष ने सवाल उठाया कि क्या सरकार देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की स्थिति में है, सिर्फ एक बड़े कॉर्पोरेट समूह को फायदा पहुंचाने के लिए।

क्या यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है?

अडानी समूह की ताकत और उसका विस्तार भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरे प्रभाव डालता है। इस समूह का कई रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश है, जैसे ऊर्जा, बंदरगाह, और परिवहन। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील दी जाती है तो यह केवल अडानी समूह के लिए नहीं, बल्कि समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

भारत जैसे विकासशील देश में, जहां आर्थिक असमानताएं पहले से ही बहुत अधिक हैं, ऐसे में किसी एक समूह को विशेष लाभ देना अन्य व्यवसायों और जनता के हितों के खिलाफ हो सकता है।

भविष्य में क्या हो सकता है?

अडानी समूह के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील के मुद्दे पर भविष्य में और भी विवाद उठ सकते हैं, क्योंकि यह एक संवेदनशील मामला है, जो भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा और बड़े उद्योगों के बीच संतुलन पर असर डाल सकता है। विपक्षी दलों ने सरकार से यह मांग की है कि इस मुद्दे पर एक व्यापक जांच की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी कॉर्पोरेट समूह को देश के सुरक्षा हितों से अधिक महत्व न दिया जाए।

यह भी संभव है कि इस मुद्दे पर संसद में और सार्वजनिक मंचों पर बहस तेज हो, क्योंकि यह केवल एक कॉर्पोरेट विवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नीति निर्धारण से जुड़ा हुआ सवाल है।

निष्कर्ष

अडानी समूह के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील पर विपक्ष का हमला भारतीय राजनीति और व्यवसाय जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। यह आरोप सीधे सरकार की नीतियों और उनकी पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। अडानी समूह का महत्व भारतीय अर्थव्यवस्था में तो है ही, लेकिन इसे सुरक्षा और नीति के दृष्टिकोण से भी देखा जाना चाहिए। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर किस प्रकार से प्रतिक्रिया देती है और विपक्षी दलों के आरोपों का क्या असर होता है।

Written By
admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *