
जम्मू -कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में मौजूद पर्यटकों पर गोलीबारी करने वाले आतंकियों की तलाश में अभियान चलाया जा रहा है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना की विक्टर फोर्स, विशेष बल, जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह और सीआरपीएफ शामिल हैं।
इस अभियान में सबसे आगे भारतीय सेना की विक्टर फोर्स है, जो घाटी में आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के लिए जानी जाती है। इस आतंकी हमले में 26 लोगों के मारे जाने की खबर है और 20 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
इस हमले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक पर्यटक अपना वीडियो बना रहा था, तभी आतंकियों ने हमला कर दिया। पांच से छह आतंकवादियों ने पर्यटकों को गोली मारने से पहले उनका नाम, पहचान और धर्म पूछा और जिसने भी अपना हिंदू नाम बताया, उसे गोली मार दी। पीड़ित के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने लोगों को धमकी दी थी कि जो लोग अज़ान नहीं करेंगे, उन्हें गोली मार दी जाएगी। इस तरह भी वह हिंदू और मुसलमान की पहचान कर रहे थे। हिन्दुओं पर निर्दयतापूर्वक गोलियां चलाई जा रही थीं।
बैसरन घाटी हमले के समय आतंकवादियों ने नकली सेना की वर्दी पहन रखी थी, इसलिए शुरू में किसी को उन पर शक नहीं हुआ। लेकिन थोड़ी देर बाद जब उन्होंने हिंदू पर्यटकों से उनकी पहचान पूछकर उन पर गोलीबारी शुरू कर दी तो भगदड़ मच गई। आतंकवादियों ने जानबूझकर उन हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया जो अपनी पत्नियों या परिवारों के साथ आए थे। इस आतंकवादी हमले की तस्वीरें और वीडियो बेहद भयावह हैं। इस वीडियो में वे महिलाएं रोती-बिलखती नजर आ रही हैं जिनके पतियों पर आतंकवादियों ने हमला किया है। 5 अगस्त 2019 को संविधान में संशोधन कर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटा दिया गया था। इसके बाद आईएसआई ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को कवर करने के लिए टीआरएफ यानी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ का गठन किया था। पाकिस्तानी सेना इस आतंकवादी संगठन की मदद करती है। टीआरएफ ज्यादातर लश्कर के फंडिंग चैनलों का उपयोग करता है। गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया, “द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है।”
जम्मू-कश्मीर में 2000 के बाद आम लोगों पर बड़े आतंकवादी हमले…
21 मार्च, 2000:-
21 मार्च की रात को आतंकवादियों ने अनंतनाग जिले के छत्तीसिंहपोरा गांव में अल्पसंख्यक सिख समुदाय को निशाना बनाया। इस हमले में 36 लोग मारे गए थे।
अगस्त 2000:-
पहलगाम के नुनवान बेस कैंप पर हुए आतंकवादी हमले में दो दर्जन अमरनाथ यात्रियों सहित 32 लोग मारे गए।
जुलाई 2001:-
अमरनाथ तीर्थयात्रियों को फिर निशाना बनाया गया। इस बार अनंतनाग के शेषनाग बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 13 लोग मारे गए।
1 अक्टूबर, 2001:-
श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल परिसर में एक आत्मघाती (फिदायीन) आतंकवादी हमला हुआ। इस हमले में 36 लोग मारे गए थे। विज्ञापन
2002:-
कश्मीर के चंदनवाड़ी बेस कैंप पर आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 11 अमरनाथ तीर्थयात्री मारे गए।
23 नवंबर, 2002:-
जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर दक्षिण कश्मीर के लोअर मुंडा में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में 9 सुरक्षाकर्मियों, 3 महिलाओं और 2 बच्चों सहित 19 लोग मारे गए।
23 मार्च, 2003:-
आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के नंदीमार्ग गांव में 11 महिलाओं और 2 बच्चों सहित कम से कम 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी।
13 जून, 2005:-
पुलवामा में एक सरकारी स्कूल के सामने भीड़ भरे बाजार में विस्फोटकों से लदी एक कार में विस्फोट होने से 2 स्कूली बच्चों और 3 सीआरपीएफ अधिकारियों सहित 13 लोगों की मौत हो गई। इस हमले में 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
12 जून, 2006:-
कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादी हमले में 9 नेपाली और बिहारी मजदूर मारे गए। आतंकवादियों ने उन्हें निशाना बनाया था।
10 जुलाई 2017:-
कश्मीर के कुलगाम में अमरनाथ यात्रा बस पर आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 8 लोग मारे गए।
22 अप्रैल, 2025:- पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले में 26 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है।