तुर्की में मोसाद का जासूसी नेटवर्क: एर्दोआन की चुनौतियाँ

तुर्की ने विश्व स्तर पर यह दिखाने का प्रयास किया है कि वह मुस्लिम समुदाय का नेतृत्व करेगा, लेकिन हाल के खुलासों ने उसकी छवि को धूमिल कर दिया है। तुर्की के अधिकारियों ने एक पूर्व पुलिस अधिकारी को इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के जासूसी नेटवर्क का प्रमुख बताया है, जिसने तुर्की में फिलिस्तीनी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया।
इस मामले के उजागर होने के बाद तुर्की की स्थिति कमजोर हुई है, खासकर जब राष्ट्रपति रैचप तैयब एर्दोआन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों का विरोध कर रहे थे। उनके आलोचकों ने उन पर आरोप लगाया है कि वे अपने देश में फिलिस्तीनियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रहे हैं.
मोसाद की गतिविधियाँ
यह मामला तुर्की में विदेशी जासूसी गतिविधियों की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है, विशेषकर मोसाद की, जो इजराइल-फिलिस्तीनी तनाव के बीच तुर्की की सीमाओं के भीतर सक्रिय है.
जासूस की पहचान
पूर्व पुलिस अधिकारी गोनेन कराकाया को मोसाद के नेटवर्क का प्रमुख बताया गया है, जिसने इजराइली खुफिया एजेंसी के लिए कम से कम आठ फिलिस्तीनी व्यक्तियों की जानकारी इकट्ठा की। कराकाया को उनके सहयोगी अहमद युर्त्सेवेन और अन्य पांच लोगों के साथ 2024 में इस्तांबुल और इज़मिर में गिरफ्तार किया गया था।
कानूनी कार्रवाई
इस्तांबुल के मुख्य लोक अभियोजक कार्यालय ने जांच पूरी कर ली है और सभी सात संदिग्धों पर औपचारिक आरोप लगाए गए हैं। अभियोजक ने इस समूह के खिलाफ 640 साल तक की जेल की सजा की मांग की है.