राहुल गांधी के खिलाफ याचिका खारिज, अदालत ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

वाराणसी की एक अदालत ने मंगलवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी को तलब करने की याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका इस साल अप्रैल में अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में उनके भाषण के दौरान भगवान राम को पौराणिक चरित्र कहने के लिए सख्त कार्रवाई की मांग कर रही थी।
अधिवक्ता हरिशंकर पांडे द्वारा दायर की गई याचिका को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुमार त्रिपाठी ने खारिज कर दिया, इसे “गैर-स्थायी” मानते हुए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 के अनुसार, ऐसे मामलों में केंद्र या राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति आवश्यक है।
याचिका का विवरण
हरिशंकर पांडे ने बताया कि अदालत ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह अब जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति प्राप्त कर फिर से याचिका दायर करेंगे।
यह शिकायत 12 मई को दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने ब्राउन विश्वविद्यालय में अपने भाषण में भगवान राम को “पौराणिक और काल्पनिक व्यक्ति” कहा था। पांडे ने अदालत से संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
गांधी की टिप्पणी पर विवाद
पांडे ने गांधी की टिप्पणी को ‘घृणास्पद भाषण’ करार दिया, जो उनके अनुसार सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को आहत करता है।
आपराधिक शिकायत में कहा गया है कि राहुल गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस तरह के कृत्यों के लिए आदतन अपराधी बन गए हैं। शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी और उनकी पार्टी को कड़ी फटकार लगाई थी।
राहुल गांधी का बयान
पिछले महीने एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में बातचीत के दौरान, गांधी ने भाजपा के हिंदू परिभाषा के विचार को खारिज किया। उन्होंने कहा कि सभी महान भारतीय समाज सुधारक और राजनीतिक विचारक एक ही बात कहते थे, “सभी को अपने साथ लेकर चलें, सत्य और अहिंसा।”
गांधी ने कहा, “मेरे लिए यह भारतीय परंपरा और इतिहास का आधार है। मैं भारत में किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानता जिसे हम महान मानते हों और जो इस प्रकार का न हो। सभी पौराणिक पात्र हैं। भगवान राम उस समय के थे, जहां वे क्षमाशील थे, वे दयालु थे।”