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Politics

सांसदों का वेतन बढ़ गया, आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों का मानदेय कब बढ़ेगा: पप्पू यादव

  • PublishedMarch 27, 2025

Parliament Session: निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों के मानदेय में बढ़ोतरी की मांग उठाई। उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सवाल किया कि सांसदों का वेतन बढ़ गया है, आशा कर्मचारियों, आंगनवाड़ी कर्मियों और रसोइयों का मानदेय कब बढ़ेगा?
बिहार के पूर्णिया से लोकसभा सदस्य ने सरकार से आग्रह किया कि इन लोगों के मानदेय में बढ़ोतरी की जाए। उन्होंने वंचित तबकों के लोगों के लिए पेंशन और छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी की मांग भी की। कांग्रेस के वीके श्रीकंदन ने भी सरकार से आग्रह किया कि केरल की आंगनवाड़ी कर्मियों की सभी मांगों को पूरा करते हुए उनकी सुविधाएं बढ़ाई जाएं।

समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था का विषय उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है और अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार हो रहा है। प्रसाद ने अपने संसदीय क्षेत्र फैजाबाद के मिल्कीपुर में एक दलित महिला के साथ कथित अत्याचार की घटना का उल्लेख किया और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़ित परिवार को मुआवजा देने के लिए निर्देशित किया जाए।

सांसदों का वेतन बढ़ा, लेकिन आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों का मानदेय कब बढ़ेगा? – पप्पू यादव का बड़ा सवाल

भारत में सांसदों का वेतन और भत्ते लगातार बढ़ाए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं देने वाली आशा (ASHA) और आंगनवाड़ी कर्मियों की मेहनत और उनके योगदान को सरकार नजरअंदाज कर रही है। जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में इस मुद्दे को उठाया और सरकार से पूछा कि जब सांसदों का वेतन बढ़ सकता है, तो आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा? यह सवाल देश के लाखों आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों के हितों से जुड़ा है, जो सीमित संसाधनों में अपनी सेवाएं दे रही हैं।

सांसदों का वेतन और सुविधाएं बढ़ीं, लेकिन जमीनी कर्मी उपेक्षित

हाल ही में सरकार ने सांसदों के वेतन और भत्तों में वृद्धि की घोषणा की है। सांसदों को पहले से ही वेतन, भत्ते, सरकारी आवास, यात्रा भत्ता और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। इसके बावजूद, उनके वेतन में समय-समय पर वृद्धि होती रहती है। दूसरी ओर, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, जो देश के सबसे निचले स्तर पर स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं प्रदान करती हैं, उन्हें न्यूनतम मानदेय भी नहीं मिलता।

आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों की स्थिति क्या है?

  • आशा कार्यकर्ता:
    आशा (Accredited Social Health Activist) कार्यकर्ता ग्रामीण और शहरी गरीब क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का काम करती हैं। वे गर्भवती महिलाओं की देखभाल, नवजात शिशु की देखरेख, टीकाकरण अभियान और परिवार नियोजन जैसी अहम सेवाएं देती हैं। इसके बावजूद, उन्हें वेतन के बजाय मामूली प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जो 2,000 से 6,000 रुपये तक होती है।
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता:
    आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण, स्वास्थ्य जांच और शिक्षा से जुड़ी सेवाएं दी जाती हैं। आंगनवाड़ी कर्मियों का मानदेय बेहद कम है, और उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता।

पप्पू यादव का सरकार से सवाल

पप्पू यादव ने कहा कि सरकार को आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के योगदान को पहचानना चाहिए और उनके वेतन में तत्काल वृद्धि करनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सांसदों के वेतन में बार-बार बढ़ोतरी हो सकती है, तो इन कर्मियों को न्याय क्यों नहीं मिलता?

उन्होंने कहा,
“आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भारत की स्वास्थ्य और पोषण व्यवस्था की रीढ़ हैं। ये महिलाएं जमीनी स्तर पर देश के भविष्य को संवारने में लगी हुई हैं। लेकिन सरकार उन्हें उपेक्षित कर रही है। अगर सांसदों को लाखों रुपये का वेतन और भत्ते मिल सकते हैं, तो इन कर्मियों को भी सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए।”

क्यों जरूरी है मानदेय बढ़ाना?

  1. बेहतर सेवाएं सुनिश्चित होंगी:
    यदि सरकार इन कर्मियों का मानदेय बढ़ाएगी, तो वे अधिक उत्साह और समर्पण के साथ काम कर सकेंगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  2. आर्थिक सुरक्षा:
    कई आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करती हैं। उन्हें वित्तीय स्थिरता मिलना जरूरी है ताकि वे अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर सकें।
  3. महिला सशक्तिकरण:
    इन सेवाओं में काम करने वाली अधिकांश महिलाएं हैं। यदि उन्हें उचित वेतन मिलेगा, तो यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
  4. स्वास्थ्य और पोषण व्यवस्था मजबूत होगी:
    भारत में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने, कुपोषण से लड़ने और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर उनका मानदेय बढ़ेगा, तो वे अपनी जिम्मेदारियां और अच्छे तरीके से निभा पाएंगी।

आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों की मांगें क्या हैं?

  1. नियमित वेतन प्रणाली लागू हो:
    उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह वेतन मिलना चाहिए, न कि सिर्फ मानदेय या प्रोत्साहन राशि।
  2. महंगाई के अनुसार वेतन वृद्धि:
    जैसे अन्य सरकारी कर्मचारियों के वेतन में महंगाई के अनुसार बढ़ोतरी होती है, वैसे ही इन कर्मियों के वेतन में भी समय-समय पर वृद्धि होनी चाहिए।
  3. सुरक्षा और बीमा कवरेज:
    कोरोना महामारी के दौरान कई आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन उन्हें किसी तरह की वित्तीय सुरक्षा नहीं मिली। सरकार को इनके लिए बीमा योजना लागू करनी चाहिए।
  4. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ:
    उन्हें पेंशन, मातृत्व अवकाश, चिकित्सा सुविधाएं और अन्य सरकारी लाभ मिलने चाहिए।

सरकार का अब तक क्या रुख रहा है?

हालांकि सरकार समय-समय पर आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में मामूली वृद्धि करती रही है, लेकिन यह वृद्धि उनकी मेहनत और जिम्मेदारियों के अनुसार पर्याप्त नहीं है। कई राज्यों में इन कर्मियों ने हड़ताल और विरोध प्रदर्शन भी किए, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

क्या हो सकता है समाधान?

  1. सरकार को एक ठोस नीति बनानी चाहिए जो सुनिश्चित करे कि आशा और आंगनवाड़ी कर्मियों को उचित वेतन और सुविधाएं मिलें।
  2. बजट में इनके लिए अलग फंड आवंटित किया जाए ताकि इनके वेतन में नियमित बढ़ोतरी हो सके।
  3. राज्यों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए और अपने स्तर पर वेतन बढ़ाने की पहल करनी चाहिए।
  4. सांसदों को खुद इस मुद्दे को संसद में उठाना चाहिए, क्योंकि जब उनका वेतन बढ़ सकता है, तो इन कर्मियों का क्यों नहीं?

निष्कर्ष

सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी का मुद्दा हर बार सुर्खियों में रहता है, लेकिन देश की असली नायिकाएं – आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता – उपेक्षा का शिकार होती रहती हैं। पप्पू यादव का सवाल सरकार के लिए एक आईना है, जिसमें उसे अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए। यदि सरकार वास्तव में “सबका साथ, सबका विकास” की नीति पर काम कर रही है, तो उसे इन कर्मियों को भी उचित मानदेय देना चाहिए। जब तक इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होगा, तब तक ग्रामीण भारत की स्वास्थ्य और पोषण व्यवस्था भी मजबूत नहीं होगी।

सरकार को अब जल्द से जल्द इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि ये कर्मी सम्मानजनक जीवन जी सकें और अपने कर्तव्यों को और बेहतर तरीके से निभा सकें।

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admin

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