x
Close

Recent Posts

नई दिल्ली, 28 अप्रैल . जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट समर्थित उम्मीदवारों ने अध्यक्ष समेत चार में से तीन पदों पर जीत हासिल की है. वहीं संयुक्त सचिव पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार वैभव मीणा ने जीत दर्ज की है.

नई दिल्ली, 28 अप्रैल . जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट समर्थित उम्मीदवारों ने अध्यक्ष समेत चार में से तीन पदों पर जीत हासिल की है. वहीं संयुक्त सचिव पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार वैभव मीणा ने जीत दर्ज की है.

Politics

बिहार की ‘जाति जनगणना’ पर राहुल गांधी ने फिर उठाए सवाल, तेलंगाना का दिया उदाहरण

  • PublishedFebruary 5, 2025

पटना 5 फरवरी . लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को बिहार की राजधानी पटना में कहा कि आज देश में सत्ता संरचना में दलितों और पिछड़ों की भागीदारी नहीं है. दलितों को प्रतिनिधित्व दिया गया, लेकिन सत्ता संरचना में भागीदारी नहीं होने के कारण इसका कोई मतलब नहीं है.
स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय जगलाल चौधरी की जयंती को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज देश की सत्ता संरचना में, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कॉर्पोरेट हो, व्यापार हो, न्यायपालिका हो, आपकी भागीदारी कितनी है?

उन्होंने कहा कि दलितों के दिल में जो दर्द था, जो दुख था, जो उनके साथ हजारों साल से किया जा रहा था, उनकी आवाज भीमराव अंबेडकर और जगलाल चौधरी जी थे. आजादी मिली, बहुत कुछ हुआ.

उन्होंने सत्ता पक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि टिकट दे देते हैं, लेकिन अधिकार नहीं देते. उन्होंने देश में जाति जनगणना कराने की मांग करते हुए बिहार की जाति जनगणना पर सवाल भी उठाए. उन्होंने कहा कि बिहार की तरह नहीं, तेलंगाना की तरह जाति जनगणना जरूरी है. जाति जनगणना हमें बता देगी कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, गरीब, सामान्य वर्ग कौन और कितने हैं? इसके बाद हम न्यायपालिका, मीडिया, संस्थानों और ब्यूरोक्रेसी में इनकी कितनी भागीदारी है, इसकी सूची निकालेंगे और असलियत पता करेंगे.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनकी भागीदारी दिलवाना चाहती है. भाजपा और आरएसएस वाले संविधान को खत्म करना चाहते हैं.

राहुल गांधी ने कहा कि 200 बड़ी कंपनियों में एक भी दलित-ओबीसी, आदिवासी नहीं हैं. 90 लोग हिंदुस्तान का बजट निर्धारण करते हैं, इन लोगों में सिर्फ तीन दलित हैं. जो तीन अधिकारी दलित हैं, उनको छोटे-छोटे विभाग दे रखे हैं. अगर सरकार 100 रुपये खर्च करती है तो उसमें एक रुपये का निर्णय ही दलित अफसर लेते हैं. इसी तरह 50 फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग की है, उनके भी मात्र तीन अधिकारी हैं. दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग की भागीदारी 100 रुपये में सिर्फ छह रुपये के बराबर है.

उन्होंने कहा कि आबादी के अनुरूप सभी सेक्टरों में प्रतिनिधित्व के लिए सबसे जरूरी है कि जाति जनगणना कराई जाए. हमारा मकसद लीडरशिप के लेवल पर दलित, आदिवासी और पिछड़े को देखना है.

Written By
admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *